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उत्तर प्रदेश सरकार राज्यमंत्री नीलिमा कटियार ने लिया देहदान करने संकल्प  

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उत्तर प्रदेश सरकार राज्यमंत्री नीलिमा कटियार ने लिया देहदान करने संकल्प     उत्तर प्रदेश सरकार की राज्य मंत्री नीलिमा कटियार ने युग दधीचि देहदान संस्थान के बैनर तले अपना देहदान करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर नीलिमा कटियार ने प्राथमिक औपचारिकता पूरी करते हुए संस्था को अपना संकल्प पत्र भरकर युग दधीचि देहदान अभियान कानपुर के प्रमुख मनोज सेंगर को सौपा।    युग दधीचि देहदान अभियान के प्रमुख मनोज सेंगर ने बताया कि युग दधीचि देहदान अभियान का प्रारम्भ वर्ष 2003 में कानपुर से किया गया था और अब तक प्रदेश भर से 3000 से अधिक लोगो ने देहदान का संकल्प पत्र भरकर दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि अब तक संस्था द्वारा 229 मृत देह विभिन्न मेडिकल कॉलेजो को समर्पित की जा चुकी है। वही उत्तर प्रदेश सरकार की मंत्री नीलिमा कटियार द्वारा अपना देहदान करने के संकल्प को संस्था के अभियान का गौरव और समाज के अनेक लोगो के लिए प्रेरणा बताते हुए लोगो से समाज के लिए इस अभियान में अपने मृत शरीर की आ...

कानपुर में चर्म उद्योग के लिए वर्चुअल ट्रेड फेयर साबित हो रहा वरदान - रूस, पेरू, जापान में सफलता के बाद लॉस वेगास से अच्छे कारोबार की उम्मीद 

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कानपुर में चर्म उद्योग के लिए वर्चुअल ट्रेड फेयर साबित हो रहा वरदान - रूस, पेरू, जापान में सफलता के बाद लॉस वेगास से अच्छे कारोबार की उम्मीद    वैश्विक महामारी कोरोना काल में सभी तरह के उद्योग धंधे प्रभावित हुए है। ऐसे में लेदर सिटी ऑफ दी वर्ल्ड के नाम से विश्व में विख्यात औद्योगिक नगरी कानपुर के चर्म उद्योग के लिए कॉउन्सिल फ़ॉर लेदर एक्सपोर्ट द्वारा वर्चुअल ट्रेड फेयर का आयोजन किया गया जिसे कानपुर चर्म उद्योग के  कारोबारियों के लिए काफी लाभकारी माना जा रहा है।    वर्चुअल ट्रेड फेयर की सफलता और जापान सहित अन्य देशो से विदेशी कंपनियों द्वारा कानपुर के लेदर उत्पादों में दिखाई गयी उत्साहवर्धक रूचि से यहां के चर्म उत्पादों का बड़ी तादाद में एक्सपोर्ट आर्डर मिलने की उम्मीद जगी है जिससे उद्योग कारोबारियों में ख़ुशी की लहर है।   गौरतलब है कि कानपुर के लेदर उत्पादो का विश्व में अच्छी मांग रही है जबकि वर्तमान में वैश्विक महामारी के चलते लेदर उत्पादों से जुड़े का...

पश्चिमोत्तर भारत के भूजल संकट से बचाव के लिए शोधकर्ताओं ने तैयार किया जल स्तर मॉडलिंग

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  आईआईटी कानपुर, बीएचयू , राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, दिल्ली विश्वविद्यालय और डरहम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पश्चिमोत्तर भारत के भूजल संकट से बचाव के लिए तैयार किया जल स्तर मॉडलिंग    आईआईटी कानपुर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान, दिल्ली विश्वविद्यालय और डरहम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने शोध के बाद पश्चिमोत्तर भारत के भूजल संकट से बचाव के लिए जल स्तर  मॉडलिंग तैयार किया है।   आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग में प्रो राजीव सिन्हा के अनुसार शोधकर्ताओं द्वारा भूजल संकट से बचाव के लिए तैयार किये गए जल स्तर मॉडलिंग में  शोधकर्ताओं ने उ त्तर पश्चिमी भारत में अकुशल सिंचाई पद्धतियों द्वारा भूजल संसाधनों की अधिकता भूजल संकट पैदा करने में अहम कारक माना है।   जिसको लेकर शोधकर्ताओं के दल द्वारा पश्चिमोत्तर भारत के भूजल संकट के भविष्य का आकलन कर भारत सरकार को "नेचुरल इरिगेशन रिपोर्ट" में सिंचाई जल में 20 प्रतिशत सुधार का प्रस्ताव दिया गया है।         गौरतलब है कि उत्तर पश्चिमी भारत को दुनि...

जनेऊ

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जनेऊ   भए कुमार जबहिं सब भ्राता। दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता॥   जनेऊ क्या है : बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को जनेऊ कहते हैं। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है।   यह सूत से बना पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। अर्थात इसे गले में इस तरह डाला जाता है कि वह बाएं कंधे के ऊपर रहे।   जनेव में तीन सूत्र का अर्थ : जनेऊ में मुख्यरूप से तीन धागे होते हैं। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं और  यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है। यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है। यह तीन आश्रमों का प्रतीक है। संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।   जनेव के नौ तार : यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। इस तरह कुल तारों की संख्या नौ होती है। एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं।   जनेव में पांच गांठ : यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है...

गिलोय के लाभकारी गुण 

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  गिलोय के लाभकारी गुण    मान्यता है कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।  गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।   इसका ( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं। आइए जानते हैं गिलोय के फायदे…   गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता   गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर न...

लक्ष्मण जी को शक्ति लगने पर हनुमानजी संजीवनी बूटी के लिए द्रोणागिरी पर्वत को ले गए थे 

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  लक्ष्मण जी को शक्ति लगने पर हनुमानजी संजीवनी बूटी के लिए द्रोणागिरी पर्वत को ले गए थे    पवन पुत्र हनुमान जी लक्ष्मणजी को शक्ति लगने पर हिमालय में आए और द्रोणागिरी पर्वत से औषधिप्रस्थ (द्रोणागिरी पर्वत) का एक हिस्सा लंका ले गए थे।   द्रोणागिरी पर्वत - जोशीमठ से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।   ● उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ से मलारी की तरफ लगभग 50 किलोमीटर आगे बढ़ने पर जुम्मा नाम की एक जगह पड़ती है. यहीं से द्रोणागिरी गांव के लिए पैदल मार्ग शुरू हो जाता है*. यहां धौली गंगा नदी पर बने पुल के दूसरी तरफ सीधे खड़े पहाड़ों की जो श्रृंखला दिखाई पड़ती है, उसे पार करने के बाद ही द्रोणागिरी तक पहुंचा जाता है ।।   ● *संकरी पहाड़ी पगडंडियों वाला तकरीबन दस किलोमीटर का यह पैदल रास्ता काफी कठिन लेकिन, बेहद रोमांचक है* ।।   ● रामायणों के अनुसार *लक्ष्मणजी को शक्ति लगने पर हनुमान जी इसी हिमालय में आए एवं यहाँ  जोशीमठ के पास पर इसी औषधिप्रस्थ (द्रोणागिरी पर्वत) का एक हिस्सा लंका  को ले गए* ।।   ● आज भी इस *पहाड़ का ऊपरी भाग कटा हुआ लगता है जो आंखों स...

गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कलंक निवारण के उपाय

गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन कलंक निवारण के उपाय   इस वर्ष  22 अगस्त, शनिवार को (चन्द्रास्त : रात्रि 09.49)   भारतीय शास्त्रों में गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन निषेध माना गया है इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को एक साल में मिथ्या कलंक लगता है। भगवान श्री कृष्ण को भी चंद्र दर्शन का मिथ्या कलंक लगने के प्रमाण हमारे शास्त्रों में विस्तार से वर्णित है।*   भाद्रशुक्लचतुथ्र्यायो ज्ञानतोऽज्ञानतोऽपिवा। अभिशापीभवेच्चन्द्रदर्शनाद्भृ शदु:खभाग्॥   अर्थातः जो जानबूझ कर अथवा अनजाने में ही भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन करेगा, वह अभिशप्त होगा। उसे बहुत दुःख उठाना पडेगा।   गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लेने पर कलंक अवश्य लगता है। ऐसा गणेश जी का वचन है।   भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन न करें यदि भूल से चंद्र दर्शन हो जाये तो उसके निवारण के निमित्त श्रीमद्‌भागवत के १०वें स्कंध, ५६-५७वें अध्याय में उल्लेखित स्यमंतक मणि की चोरी कि कथा का श्रवण करना लाभकारक है। जिससेे चंद्रमा के दर्शन से होने वाले मिथ्या कलंक का ज...

चतुर्थी का चांद क्यों नहीं देखना चाहिए, पौराणिक कथा

चतुर्थी का चांद क्यों नहीं देखना चाहिए, पौराणिक कथा   पौराणिक कथा के अनुसार  चन्द्रमा को अपने रूप का बहुत अभिमान था।   एक बार पार्वती पुत्र गणेश जी को गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रलोक से भोज का आमंत्रण आया। ये तो सभी जानते हैं कि गणेश जी को मोदक अत्यंत प्रिय हैं। भोज कार्यक्रम के दौरान भी उनका ध्यान लड्डुओं पर ही था। गणेश जी ने वहां जी भर कर मोदक खाए और वापस लौटते समय बहुत से मोदक साथ भी ले आए।मोदक बहुत ज्यादा थे, जो उनसे संभाले नहीं गए। उनके हाथ से मोदक गिर गए, गणेश जी के गजमुख एवं लबोदर रूप को देखकर  देखकर चंद्र देव अपनी हंसी नहीं रोक पाए। चन्द्र देव हंस दिये। गणेश जी ने सोचा की मेरी मदद करने की बजाए चन्द्र देव हंस रहे हैं। चंद्रदेव को हंसता देख गणेश जी क्रोधित हो उठे। गणेश जी को गुस्सा आ गया। गणेश जी इससे नाराज हो गये और  क्रोध के आवेग में आकर उन्होंने चंद्रदेव को श्राप दे दिया कि जो भी आज के दिन उन्हें देखेगा उस पर चोरी का झूठा कलंक लग जाएगा।   इसके बाद गणेश जी के शाप से चन्द्रमा दुःखी हो गए और घर में छुप कर बैठ गए।  चंद्रदेव घबरा गए, उन्होंने गणेश जी ...

श्रमिको के हितो, योजनाओ सहित अन्य मुद्दों को लेकर श्रम कल्याण परिषद् के अध्यक्ष राज्यमंत्री सुनील भराला की प्रेस वार्ता  

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  श्रमिको के हितो, योजनाओ सहित अन्य मुद्दों को लेकर  श्रम कल्याण परिषद् के अध्यक्ष राज्यमंत्री सुनील भराला की प्रेस वार्ता      औद्योगिक नगरी कानपुर पहुंचे श्रम कल्याण परिषद् के अध्यक्ष राज्यमंत्री सुनील भराला ने प्रदेश में श्रमिको के हितो के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओ सहित श्रमिको से जुड़े कई अन्य मुद्दों को लेकर बोर्ड के सदस्यों के साथ 72 वी बोर्ड की बैठक और समीक्षा किया।    राज्यमंत्री ने पत्रकार वार्ता में बताया कि कि श्रमिको के कल्याणकारी योजनाओ के साथ श्रमिको को होने वाली पात्रता 15 हज़ार रुपये की आय को बढ़ा कर 24 हज़ार रूपये तक जो श्रम कल्याण परिषद् द्वारा वर्तमान में चल रही 5 कल्याणकारी योजनाओ का लाभ श्रमिको को दिलाया जायेगा।       राज्यमंत्री ने कहा कि श्रमिको के हित और कल्याण के लिए उत्तर प्रदेश में कोरोना काल के दौरान 36 लाख प्रवासी श्रमिको को ससम्मान बसों और...

देश का पहला शहर जहां सबसे पहले आजादी का जश्न 14 अगस्त की मध्य रात्रि ठीक 12 बजे झंडारोहण कर मनाया

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देश का पहला शहर जहां सबसे पहले आजादी का जश्न 14 अगस्त की मध्य रात्रि ठीक 12 बजे झंडारोहण कर मनाया    कानपुर देश का पहला शहर है जहां सबसे पहले आजादी का जश्न 14 अगस्त की मध्य रात्रि ठीक 12 बजे झंडारोहण कर मनाया जाता है।  जनपद कानपुर नगर के मेस्टन रोड़ पर 14 अगस्त रात्रि 12 बजे मेस्टन रोड़ पर झण्डारोहण किया गया, यह परंपरा 1947 से चली आ रही है यहाँ सबसे पहले सन 1947 की 14 - 15 अगस्त की रात ठीक 12 बजे तब झंडा फहराया गया था। हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते कार्यक्रम में कम लोग रहे।    देश के आज़ादी के समय कानपुर वासियों ने 14 अगस्त रात्रि 12 बजे मेस्टन रोड़ पर झण्डारोहण किया और पूरा शहर बिना सोये प्रभात फेरी में लग गया था। जिसके बाद से कानपुर की यह परंपरा आज तक चली आ रही है। आजादी से पूर्व कानपुर ही संयुक्त प्रान्त का ऐसा शहर था, जहां पर क्रांतिकारी और नेता अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए रणनीति बनाते थे। आजादी के बाद भी कानपुर देश में अपनी अलग छाप छोड़न...

कानपुर मेट्रो परियोजना निर्माण कार्य में 9 किलोमीटर लंबे प्रायरिटी कोरिडोर में पहले यू गर्डर का हुआ इरेक्शन

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कानपुर मेट्रो परियोजना निर्माण की दिशा में बड़ा कदम – हवन पूजन कर 9 किलोमीटर लंबे प्रायरिटी कोरिडोर में पहले यू गर्डर का हुआ इरेक्शन,  प्रबंध निदेशक यूपीएमआरसी और मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश कार्यक्रम में रहे शामिल  कानपुर नगर में उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) मेट्रो परियोजना का सिविल कार्य तेजी से गति ले रहा है। इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हवन पूजन के बीच 9 किलोमीटर लंबे प्रायरिटी कोरिडोर में पहले यू गर्डर का हुआ इरेक्शन किया गया।    कानपुर मेट्रो प्रोजेक्ट के प्रायोरिटी कॉरिडोर पर पहले यू गर्डर का इरेक्शन आईआईटी कानपुर के पास पिलर नंबर 17 और 18 पर किया गया। परियोजना के लिए काम शुरू करने के बाद से सिर्फ साढ़े आठ माह में गर्डर का निर्माण, कानपुर मेट्रो के निर्माण में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव मौजूद रहे।  यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि कानपुर मेट्रो परियोजना कार्य के अंतर्गत साढ़े आठ माह...

"मोबाइल मास्टर जी"

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देश के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिये आईआईटी ने कक्षा-से-घर शिक्षण सेटअप "मोबाइल मास्टर जी" किया विकसित    वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते शिक्षा प्रणाली को बदल गयी है देश के विद्यार्थियों और शिक्षकों को शिक्षण कार्य के लिए बड़ी चुनौतियो का सामना करना पड़ रहा है जिसमे ग्रामीण भारत में छात्र इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे है।   ऐसे में आईआईटी कानपुर की इमेजिनरी लेबोरेटरी ने विद्यार्थियों और शिक्षकों के शिक्षण कार्य के लिये कक्षा-से-घर शिक्षण सेटअप "मोबाइल मास्टरजी" किया है।स्मार्टफोन का उपयोग करते हुए मोबाइल मास्टरजी सेटअप द्वारा शिक्षकों द्वारा व्याख्यान और निर्देशो को रिकॉ र्ड किया जा सकता है।     “मोबाइल मास्टरजी” शिक्षकों को विद्यार्थियों से जोड़कर जीवंत व्याख्यान द्वारा  बच्चों को पढ़ाने की उतेजना बढ़ाने में कारगर सिद्ध होगा।  यह सेटअप द्वारा क्षैतिज (तालिका) और ऊर्ध्वाधर (ब्लैकबोर्ड) स्थितियों में वीडियो को कैप्चर किया जा सकता है। आईआईटी के प्रो जे रामकुमार और...

11 अगस्त को गृहस्थ और 12 अगस्त को साधु संतों द्वारा मनाई जाएगी जन्माष्टमी

11 अगस्त को गृहस्थ और 12 अगस्त को साधु संतों द्वारा मनाई जाएगी जन्माष्टमी         ०१- भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी को हुआ था।    ०२- माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।    जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि, इस साल भी पिछले साल की तरह कृष्ण जन्माष्टमी  की तिथि को लेकर लोगों के बीच उलझन बनी हुई है। देशभर के कुछ हिस्सों में 11 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है, वहीं कुछ अन्य हिस्सों में जन्माष्टमी का त्योहार 12 अगस्त को मनाया जा रहा है।    दरअसल, माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी (निशीथ काल) को हुआ था, जो इस साल 11 अगस्त को है।  वहीं ये भी माना जाात है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।   इस वजह से यदि अष्टमी तिथि के हिसाब से देखा जाए तो 11 अगस्त को जन्माष्टमी होनी चाहिए, लेकिन रोहिणी नक्षत्र को देखों तो फिर 12 ...

"भगवान श्री कृष्ण के मुख्य 51 नाम अर्थ सहित "

"भगवान श्री कृष्ण के मुख्य 51 नाम अर्थ सहित "   1-  कृष्ण : सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला। जो सर्व आकर्षण है, जो अपनी ओर खींचता है वो कृष्ण है।   2-  गिरिधर : भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने बांय हाथ की कनिष्का ऊँगली से उठाया था जिस कारण भगवान का नाम गिरधर, गिरधारी पड़ा। गिरी: पर्व, धर: धारण करने वाला। अर्थात गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले।   3-  मुरलीधर : मुरली को धारण करने वाले।   4 - पीताम्बर धारी : पीत : पीला, अम्बर : वस्त्र। जिसने पीले वस्त्रों को धारण किया हुआ है।   5-  मधुसूदन : मधु नामक दैत्य को मारने वाले। भगवान श्री कृष्ण ने एक दैत्य को मारा था जिसका नाम मधु था। इसलिए भगवान -का नाम मधुसूदन पड़ा।   6-  यशोदा नंदन : माँ यशोदा ने कृष्ण को पाला था, इसलिए के पुत्र होने के कारण कृष्ण का नाम यशोदा नंदन पड़ा।    7-  देवकी नंदन : माँ देवकी ने कृष्ण को जन्म दिया इसलिए भगवान देवकी-नंदन कृष्ण कहलाते हैं।   8-   गोपाल : गौओं को पालने वाला।   9-   गोविन्द: इन्द्रियों के स्वामी, जो गोप, ...