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फ़रवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रेरणा की श्रोत बन रही कानपुर की प्रियंका 

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  कानपुर की प्रियंका  सॉफ्ट टॉयज   के क्षेत्र में बन रही लोगो के लिए प्रेरणा का श्रोत  " कौन कहता है की आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता , एक पत्थर तो दिल से उछालो यारो " कुछ ऐसा ही जज्बा लेकर कानपुर की प्रियंका ने एक वर्ष पूर्व घर से ही मात्र एक हज़ार रुपये की लागत से सॉफ्ट टॉयज बनाने के शुरुआत किया। प्रियंका  का विश्वास और  मेहनत रंग लायी और काम बढ़ने लगा। प्रियंका के अनुसार विगत एक वर्ष में उनकी आय एक लाख रुपये  प्रतिमाह    तक पहुँच चुकी है।  प्रियंका  एक प्यारी से बेटी की माँ है   और  उन के पति सेना में सिपाही है। प्रियंका के पति जब भी छुट्टियों में घर आते है तो अपनी पत्नी के काम में सहयोग करते है। अपने सभी दायित्वों का भली प्रकार से निर्वहन करते हुए प्रियंका एक गृहणी का कर्तव्य भली प्रकार से निभाती है।  प्रियंका के अनुसार वो नौकरी करना चाहती थी , जिसके लिए उन्होंने कई जगह प्रयास किया पर शादी के बाद प्रोफेशनल लाइफ में कुछ वर्षो के अंतरा...

लघु शस्त्र निर्माणी कानपुर ने तैयार किया प्रहार रिवाल्वर

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  लघु शस्त्र निर्माणी कानपुर ने तैयार किया प्रहार रिवाल्वर   आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ाते हुए कानपुर स्थित लघु शस्त्र निर्माणी ने दोगुनी से अधिक  अधिक मार करने वाली 0.32 बोर की प्रहार रिवाल्वर  तैयार  किया  है।  अंतर्राष्ट्रीय  मानकों के अनुरूप तैयार की गयी प्रहार रिवाल्वर में सिलेन्डर और बैरल को हल्का करने के साथ स्प्रिंग का लोड भी कम किया गया है , जिससे यह चलने में अधिक आरामदायक है।   लघु शस्त्र निर्माणी के महाप्रबंधक ए के मौर्या के अनुसार  प्रहार  0.32 रिवाल्वर मार्क 4 में अनुसंधान एवं विकास करते हुए इसके डिज़ाइन और पैरामीटर पर कार्य किया और अंतर्राष्ट्रीय नियमो के अनुसार इसमें बदलाव करते हुए रिवाल्वर को अंतराष्ट्रीय बाजार में मौजूद इस श्रेणी के सभी रिवाल्वरो से बेहतर बना दिया है।  उन्होंने बताया कि  प्रहार रिवाल्वर में ट्रिगर अंतर्राष्ट्रीय स्टैण्डर्ड के अनुसार रखा गया है और इसमें इम्पोर्टेड सेरेमिक पेंट सेराकोट का प्रयोग किया गया है जिससे रिवाल्वर की ...

आईआईटी कानपुर में ऊर्जा सततता के क्षेत्र में शिक्षा और अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए अभियांत्रिकी विभाग की स्थापना

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                                                                             https://youtu.be/JBK9Iz-ahR0 आईआईटी कानपुर में  ऊर्जा  सतत ता  के क्षेत्र में शिक्षा और अत्याधुनिक अनुसंधान  के लिए  अभियांत्रिकी विभाग की स्थापना कानपुर स्थित  भारतीय प्रौद्योगिकी   संस्थान में  ऊर्जा  सतत ता  के क्षेत्र में शिक्षा और अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए  बोर्ड ऑफ  गवर्नर्स की बैठक में नए  अभियांत्रिकी  विभाग की स्थापना की स्वीकृति  मिल गयी है।   ऊर्जा अभियांत्रिकी   के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ  शैक्षणिक विभाग शुरू करना देश की शैक्षिक और प्रौद्योगिकी विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है,  जब भारत कई क्षेत्रों में ऊर्जा  सततता से संबंधित तकनीकों में...

राम नाम के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ

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राम नाम के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ  राम शब्द ‘रा’ रकार ‘म’ मकार से मिलकर बना है। ‘रा’ अग्नि स्वरूप है यह हमारे दुष्कर्मों का दाह करता है। ‘म’ जल तत्व का द्योतक है। जल आत्मा की जीवात्मा पर विजय का कारक है।  इस प्रकार पूरे तारक मंत्र "श्रीराम जय राम जय जय राम" का सार है शक्ति से परमात्मा पर विजय।  रामनाम उच्चारण की वैज्ञानिकता... योग शास्त्र में ‘रा’ वर्ण को सौर ऊर्जा का कारक माना गया है। यह हमारी रीढ़ रज्जु के दायीं ओर स्थित पिंगला नाड़ी में स्थित है। यहां से यह शरीर में पौरुष ऊर्जा का संचार होता है। ‘म’ वर्ण को चंद्र ऊर्जा का कारक अर्थात् स्त्रीलिंग माना गया है। यह ऊर्जा रीढ़ रज्जु के बायीं ओर स्थित इड़ा नाड़ी में प्रवाहित होती है।  इसीलिए कहा गया है कि श्वास और निःश्वास तथा निरंतर रकार ‘रा’ और मकार ‘म’ का उच्चारण करते रहने के कारण दोनों नाड़ियों में प्रवाहित ऊर्जा में सामंजस्य बना रहता है।  अध्यात्मवाद में माना गया है कि जब व्यक्ति ‘रा’ शब्द का उच्चारण करता है तो इसके साथ-साथ उसके आंतरिक पाप बाहर आ जाते हैं। इस समय अंतःकरण निष्पाप हो जाता है।  अभ्यास म...

भगवान राम ने माता कैकई को दण्ड क्यों नहीं दिया

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भगवान राम ने माता कैकई को दण्ड क्यों नहीं दिया - प्रभु राम वनवास न जाते, तो संसार कैसे जानता भाइयों का प्रेम वनवास समाप्त हुए वर्षों बीत गए थे, प्रभु श्रीराम और माता सीता की कृपा छाया में अयोध्या की प्रजा सुखमय जीवन जी रही थी। युवराज भरत अपनी कर्तव्य परायणता और न्याय प्रियता के लिए ख्यात हो चुके थे।  एक दिन संध्या के समय सरयू जी के तट पर तीनों भाइयों संग टहलते श्रीराम से महात्मा भरत ने कहा, "एक बात पूछूं भइया ? ...  माता कैकई ने आपको वनवास दिलाने के लिए मंथरा के साथ मिल कर जो षड्यंत्र किया था, क्या वह राजद्रोह नहीं था? उनके षड्यंत्र के कारण एक ओर राज्य के भावी महाराज और महारानी को चौदह वर्ष का वनवास झेलना पड़ा तो दूसरी ओर पिता महाराज की दुखद मृत्यु हुई। ऐसे षड्यंत्र के लिए सामान्य नियमों के अनुसार तो मृत्युदंड दिया जाता है, फिर आपने माता कैकई को दण्ड क्यों नहीं दिया? भगवान राम मुस्कुराए और बोले, "जानते हो भरत, किसी कुल में एक चरित्रवान और धर्मपरायण पुत्र जन्म ले ले तो उसका जीवन उसके असँख्य पीढ़ी के पितरों के अपराधों का प्रायश्चित कर देता है। जिस माँ ने तुम जैसे महात्मा को ज...

वृन्दावन में कुम्भ क्यो...?

*वृन्दावन में कुंभ क्यों ???* एक बार प्रयाग राज का कुम्भ योग था। चारों ओर से लोग प्रयाग-तीर्थ जाने के लिये उत्सुक हो रहे थे। श्रीनन्द महाराज तथा उनके गोष्ठ के भाई-बन्धु भी परस्पर परामर्श करने लगे कि हम भी चलकर प्रयाग-राज में स्नान-दान-पुण्य कर आवें। किन्तु कन्हैया को यह कब मंज़ूर था। प्रातः काल का समय था, श्रीनन्द बाबा वृद्ध गोपों के साथ अपनी बैठक के बाहर बैठे थे कि तभी सामने से एक भयानक काले रंग का घोड़ा सरपट भागता हुआ आया। भयभीत हो उठे सब कि कंस का भेजा हुआ कोई असुर आ रहा है। वह घोड़ा आया और ज्ञान-गुदड़ी वाले स्थल की कोमल-कोमल रज में लोट-पोट होने लगा।  सबके देखते-देखते उसका रंग बदल गया, काले से गोरा, अति मनोहर रूपवान हो गया वह। श्रीनन्दबाबा सब आश्चर्यचकित हो उठे। वह घोड़ा सबके सामने मस्तक झुका कर प्रणाम करने लगा। श्रीनन्दमहाराज ने पूछा-'कौन है भाई तू ? कैसे आया और काले से गोरा कैसे हो गया ?  वह घोड़ा एक सुन्दर रूपवान विभूषित महापुरुष रूप में प्रकट हो हाथ जोड़ कर बोला- "हे व्रजराज ! मैं प्रयागराज हूँ। विश्व के अच्छे बुरे सब लोग आकर मुझमें स्नान करते हैं और अपने पापों को मुझमे...

बसंत पंचमी - सनातन वैदिक संस्कृति

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 बसंत पंचमी - सनातन वैदिक संस्कृति ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः !!  विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी कि अधिष्ठात्री माता सरस्वती को 'बसंत पंचमी' के शुभ अवसर पर नमन, और सभी का अभिनंदन !! माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ‘बसंत पंचमी’, 'श्रीपंचमी' और 'सरस्वती पूजा' के रूप में देशभर में मनाया जाता है। इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन और शरद ऋतु की विदाई होती है। बसंत पंचमी को गंगा माता का अवतरण हुआ था, इस दिन गंगा स्नान करने का भी महत्व है। बसंत पंचमी के दिन भगवान श्रीराम भीलनी शबरी की कुटिया में पधारे थे। कुछ लोक-कथाओं के अनुसार बालक भगवान श्रीकृष्ण ने बसंत पंचमी के दिन बालिका भगवती श्रीराधा जी का शृंगार किया था, इसीलिए बसंत पंचमी के दिन से प्रकृति अपना शृंगार कर के स्वयं को संवारती है। इस दिन से प्रकृति का कण-कण खिल उठता है, और सरसों के पीले-पीले फूलों से आच्छादित धरती की छटा देखते ही बनती है। बसंत पंचमी के दिन ही राजा भोज का जन्मदिवस था, जिस पर वे एक बहुत बड़ा उत्सव मनाते हुए अपनी प्रजा के लिए प्रीतिभोज आयोजित करते थे। बसंत पंचमी के ही दिन ही पृथ्वीराज चौहान ने तवे पर हुई चोट और चं...

वसंत पंचमी का दिन हमें "हिन्दशिरोमणि पृथ्वीराज चौहान" की भी याद दिलाता है

 🌷मत चूको चौहान🌷 🚩वसन्त पंचमी का शौर्य🚩 चार बांस, चौबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण, ता उपर सुल्तान है, चूको मत चौहान!! वसंत पंचमी का दिन हमें "हिन्दशिरोमणि पृथ्वीराज चौहान" की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी इस्लामिक आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ बंदी बनाकर काबुल  अफगानिस्तान ले गया और वहाँ उनकी आंखें फोड़ दीं। पृथ्वीराज का राजकवि चन्द बरदाई पृथ्वीराज से मिलने के लिए काबुल पहुंचा। वहां पर कैद खाने में पृथ्वीराज की दयनीय हालत देखकर चंद्रवरदाई के हृदय को गहरा आघात लगा और उसने गौरी से बदला लेने की योजना बनाई।  चंद्रवरदाई ने गौरी को बताया कि हमारे राजा एक प्रतापी सम्राट हैं और इन्हें शब्दभेदी बाण (आवाज की दिशा में लक्ष्य को भेदनाद्ध चलाने में पारंगत हैं, यदि आप चाहें तो इनके शब्दभेदी बाण से लोहे के सात तवे बेधने का प्रदर्शन आप स्वयं भी देख सकते हैं।  इस पर गौरी तैयार हो गया और उसके राज्य में सभी प्रमुख ओहदेदारों को इस का...

जब मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार ही गति पाता है, तो फिर भीष्म जी ने, जो तत्त्वज्ञ जीवनमुक्त महापुरुष थे, दक्षिणायन में शरीर में छोड़कर उत्तरायण की प्रतीक्षा क्यों किया..?

जब मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार ही गति पाता है, तो फिर भीष्म जी ने, जो तत्त्वज्ञ जीवनमुक्त महापुरुष थे, दक्षिणायन में शरीर में छोड़कर उत्तरायण की प्रतीक्षा क्यों किया..? इसका बड़ा ही सुंदर समाधान विद्वानों द्वारा बताया गया है। माना जाता है कि भीष्म जी भगवद्धाम नहीं गए थे, वे 'धौ' नाम वसु (आजान देवता) थे, जो शाप के कारण मृत्युलोक में आये थे। अतः उन्हें देवलोक में जाना था। ऐसा माना जाता है कि दक्षिणायन के समय देवलोक में रात रहती है और वहां के द्वार बंद रहते हैं।  यदि भीष्मजी दक्षिणायन के समय शरीर छोड़ते, तो उन्हें अपने लोक में प्रवेश करने के लिये बाहर ही प्रतीक्षा करनी पड़ती। उन्हें इच्छामृत्यु की शक्ति प्राप्त होने के कारण उन्होंने वहाँ प्रतीक्षा करने की अपेक्षा यहीं प्रतीक्षा करनी ठीक समझा। एक कारण यह भी था कि यहाँ उन्हें भगवान् श्रीकृष्ण जी के दर्शन होते रहेंगे और सत्संग भी होता रहेगा, जिससे सभी का हित होगा। ऐसा सोचकर उन्होंने अपना शरीर दक्षिणायन में न छोड़कर उत्तरायणमें ही छोड़ा। - लेखक परम श्रद्धैय स्वामी जी श्री रामसुखदासजी महाराज ) जी द्वारा अध्याय ८ श्लोक संख्या २५ की व्याख्या...

आईआईटी से मोतीझील के बीच आधी दूरी तक मेट्रो ट्रैक का आधार तैयार

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  कानपुर में यूपी मेट्रो की टीम ने लगभग 6 महीने में रख डाले 300 यू-गर्डर्स। लखनऊ मेट्रो परियोजना से भी तेज रफ़्तार से आगे बढ़ा कानपुर मेट्रो परियोजना का कार्य कानपुर में आईआईटी से मोतीझील के बीच लगभग 9 किमी. लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर का निर्माण कार्य असाधारण गति के साथ आगे बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि. (यूपीएमआरसी) की टीम ने 6 महीने के बेहद कम समय में 300 यू-गर्डर्स का इरेक्शन (परिनिर्माण) पूरा कर, लगभग आधी दूरी तक मेट्रो ट्रैक का आधार बिछा दिया है। प्रयॉरिटी कॉरिडोर (प्राथमिक सेक्शन) के अंतर्गत कुल 622 यू-गर्डर्स रखे जाने हैं और इस हिसाब से यूपी मेट्रो ने लगभग आधे यू-गर्डर्स का इरेक्शन पूरा कर लिया है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि माना जा है। पहला शतक 67 दिन, दूसरा 63 और तीसरा 57 दिनो में 11 अगस्त, 2020 को मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की उपस्थिति में और यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक कुमार केशव के नेतृत्व में यू-गर्डर्स के परिनिर्माण की शुरुआत आईआईटी कानपुर के नज़दीक की गई थी। इसके बाद यूपी मेट्रो ने शुरुआती 100 यू-गर्डर्स का इरेक्शन 67 दिनों में पूरा कर लिया गय...

36 महीने श्री राम मन्दिर बन कर तैयार हो जाएगा - चम्पत राय

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                                 https://youtu.be/i9M6IcGxMyY 36 महीने श्री राम मन्दिर बन कर तैयार हो जाएगा -  चम्पत राय   विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय ने प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना के साथ कल प्रेसवार्ता में बताया कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का ऐतिहासिक निर्माण कार्य शुरू हो गया है। जितना लम्बा चौड़ा मंदिर है उतना ही लम्बी चौड़ी नीव का प्लेटफार्म बनेगा और जमीन कों पत्थर बनाया जायेगा जिसमे दो - दो फ़ीट भरने के बाद उसे रोलर चलाकर सॉइल इम्प्लीमेंट कर कॉम्पैक्ट किया जायेगा। मकर संक्रांति से नीव की तैयारियां है और मलबा हटाने का कार्य चल रहा है  और  लगभग 36 महीने श्री राम मन्दिर बन कर तैयार हो जाएगा। चम्पत राय ने बताया कि जनसहयोग से बनने वाले मंदिर के लिए लगभग 13 से 14 करोड़ परिवारों से निर्माण कार्य के लिए सहयोग मिलेगा। निर्माण कार्य हेतु भि...