ज़ीका वायरस कितना खतरनाक, क्या हैं लक्षण, जानकारी ही इससे है बचाव - डॉ राजेश्वर सिंह
उत्तर प्रदेश में दस्तक दे चुका ज़ीका वायरस संक्रमण के विषय में जानकारी और सावधानी ही इससे बचाव है। अफ्रीका से एशिया तक फैला हुआ जिका विषाणु फ्लाविविरिडए विषाणु परिवार से है जो कि अधिकतर दिन के समय सक्रिय रहता है। मुख्य रूप से एक संक्रमित मच्छर (एडीज इजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस) के काटने से लोगों में फैलता है। आमतौर पर बीमारी लक्षणों के साथ एक सप्ताह तक चलती है। कई बार लोगों में लक्षण नहीं दिखते हैं या सिर्फ हल्के लक्षण दिखते हैं। हालांकि, प्रेग्नेंसी के दौरान जीका वायरस इंफेक्शन गंभीर बर्थ डिफेक्ट (जन्म दोष) पैदा कर सकता है। इसे साइंस की भाषा में माइक्रोसेफली कहते हैं। अन्य गंभीर मस्तिष्क दोष भी हो सकते हैं।
जीका से संक्रमित कई लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं या हल्के लक्षण दिखते हैं। ये कुछ दिनों से लेकर एक सप्ताह तक बने रहते हैं। हालांकि, प्रेग्नेंसी के दौरान जीका इंफेक्शन गंभीर बर्थ इंफेक्शन पैदा कर सकता है। मौजूदा अध्ययनों से पता चलता है कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) जीका से जुड़ा है। यह नर्वस सिस्टम की असामान्य बीमारी है।
जीका वायरस बीमारी के सबसे आम लक्षण बुखार, दाने, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, आंखें लाल होना और मांसपेशियों में दर्द हैं। इसके लक्षण काफी कुछ डेंगू से मिलते-जुलते हैं। जीका से संक्रमित कई लोगों में लक्षण नहीं होते हैं या मामूली होते हैं। ये कई दिनों से लेकर एक सप्ताह तक रह सकते हैं।
ज़ीका संक्रमण की रोकथाम के लिए स्थापित ज़ीका इंटीग्रेटेड कण्ट्रोल सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ राजेश्वर सिंह ने बताया कि ज़ीका वायरस से बचने के लिए मच्छर से बचना चाहिए। इसके लिए पूरे शरीर को कपडे से ढक कर रखना चाहिये, घर में साफ़ सफाई रखना चाहिए, घर में पानी एकत्रित नहीं होने देना चाहिए, इंसेक्ट रेपलेंट का इस्तेमाल करना और मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिये।