औद्योगिक नगरी कानपुर में लोगो को प्रदूषण से मिलेगी मुक्ति, नगर निगम की पहल से शहर में विकसित होगा प्राकृतिक ऑक्सीजन टैंक

 


औद्योगिक नगरी कानपुर में लोगो को प्रदूषण से मिलेगी मुक्ति, नगर निगम की पहल से शहर में विकसित होगा प्राकृतिक ऑक्सीजन टैंक 

 

प्रदूषित शहरो में स्थान रखने वाला औद्योगिक नगरी कानपुर नगर का स्वरुप बदलने लगा है। कानपुर नगर निगम के सार्थक प्रयास से लोगो को प्रदूषित वायु से मुक्ति मिलेगी। नगर निगम द्वारा जनपद के अति प्रदूषित स्थलों को चिन्हित करके उच्च गुणवत्ता युक्त पौधों के साथ ही वैदिक विधि द्वारा पौधरोपण करके शहर के प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने का अनूठा प्रयास किया जा रहा है। 

 

नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी के अनुसार शहर में प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए योजना बनाकर कई स्तर पर कार्य किया जा रहा है। बड़ी मात्रा में प्रतिदिन शहर के कूड़े का निस्तारण हेतु कई वर्षो से बंद पड़े कूड़ा निस्तारण प्लांट को पुनर्जीवित कर प्रतिदिन 1500 टन की क्षमता पर चला कर कूड़ा निस्तारण करने के साथ ही करीब 50 टन की कम्पोस्ट बनाकर किसानो और फ़र्टिलाइज़र कंपनियों को दिया जा रहा है। 

 

अक्षय त्रिपाठी के  अनुसार कानपुर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु वृक्षारोपण के माध्यम से प्रहार करने आधुनिक मियावाकी तकनीक से साथ ही वैदिक विधि द्वारा नवग्रह वाटिका , नक्षत्र वाटिका, पंचवटी वाटिका और वृहद पंचवटी वाटिका बनाकर पौधरोपण करने और रोड साइड प्लांटेशन किया गया है।  वही लोगो में वैदिक विधि से पौधरोपण के प्रति जागरूकता और पौधों को उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत की आध्यात्मिक परम्पराओ के अनुसार पंचवटी में पांच पेड़ अशोक , बरगद, बेल , पीपल और आंवला जब एक ही जगह पर लगते है तो बहुत ही अच्छा ईकोक्लाइमेट बना देते है। वही नवग्रह वाटिका और नक्षत्र वाटिकाओं को विकसित करने का प्रयास किया गया है। 

 

नगर आयुक्त ने बताया कि वृक्ष हमारे शरीर में ऑक्सीज और लंग्स की तरह कार्य कार्य करते। शहर में भीड़भाड़ वाले और औद्योगिक क्षेत्रो में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उच्च गुणवत्तायुक्त मियावाकी पद्दत्ति से वृक्षारोपण किया गया है। इस पद्दत्ति के द्वारा कम जगह में ही शहर में भीड़ भाड़ वाले क्षेत्रो में अधिक संख्या में पौधरोपण किया जा सकता है। इस पद्दत्ति में विशेष विधि से पौधरोपण हेतु जमीन को तैयार किया जाता है और तीन श्रेणियों के पौधे लगाए गए है जिसमे एक लो ग्रोइंग, एक मिड ग्रोइंग और एक हाई ग्रोइंग प्रजाति के पेड़ लगाए जाते है। वही इस पद्दत्ति से औसतन तीन वर्ष में ही सेल्फ सस्टेनेबल फारेस्ट तैयार हो जाता है, जिससे आसपास के क्षेत्रो में यह फारेस्ट ऑक्सीजन लंग की तरह करेगा।

 

वही उद्द्यान अधीक्षक, डॉ वीके सिंह के अनुसार इस पद्दत्ति से शहर के ग्रीन बेल्ट को चयन करके घनी आबादी और मलीन बस्ती के साथ ही सड़को के समीप वाहनों द्वारा उत्पन्न होने वाले क्षेत्रो में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए शुरुआत की गयी थी। उन्होंने बताया कि इस विधि द्वारा 10 से 20 वर्षो में पूर्ण रूप से जंगल का निर्माण हो जाता है, जबकि पारम्परिक विधि से 200 से भी अधिक का समय जंगल बनने में लगता है। उद्द्यान अधीक्षक के अनुसार मियावाकी पद्दत्ति से वनीकरण करके शहर में प्राकृतिक रूप से मिलने वाली ऑक्सीजन टैंक का निर्माण किया गया है।