डॉ धर्मवीर सिंह, प्रोफेसर कीट विभाग, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
टिड्डिया अलर्ट किसानो के लिए बचाव उपाय सुझाव
प्रदेश में टिड्डियों का भी हमला को लेकर सरकार द्वारा अलर्ट जारी किया गया है। जनपद कानपुर नगर में भी टिड्डियों के संभावित प्रकोप को लेकर जिलाधिकारी कानपुर नगर द्वारा अलर्ट जारी कर सम्बंधित अधिकारियो को दिशा निर्देश जारी किये गए है। वही कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कीट विभाग में प्रोफेसर डॉ धर्मराज सिंह के अनुसार टिड्डी कीट का प्रजनन और उत्पत्ति स्थल प्रायः राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र जैसे बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर के साथ पूर्वी अफ्रीका , ईरान, पाकिस्तान के कुछ क्षेत्र है। जमीन के अंदर टिड्डियों के अंडे लाखो की संख्या में होते है अंडो से शिशु टिड्डा निकलता है जो कि 4 से 5 सप्ताह तक उड़ नहीं पाता है। इसके बाद शिशु टिड्डे के पंख बन जाते है और यह टिड्डियों का समूह झुण्ड में लाखो की संख्या में तूफ़ान की तरह एक साथ फैलने लगते है। सामान्यता एक किलोमीटर के टिड्डियों के दल में करीब 40 लाख तक टिड्डिया हो सकती है। टिड्डियों का दल एक दिन में करीब 150 किलोमीटर की यात्रा तय कर सकता है। डॉ धर्मराज के अनुसार प्रायः टिड्डियों का दल जुलाई से अक्टूबर के मध्य निकलता था जबकि इस वर्ष मई में यह आतंक फैला रहा है।
डॉ धर्मराज सिंह के अनुसार टिड्डियों के दल से बचने के लिए किसानो को जागरूक होकर समूह में सामुदायिक रूप से एक साथ ध्वनि विस्तारक यंत्र जैसे ढोलक , ड्रम , घंटा , शंख , थाली , डीजे आदि ध्वनि उत्पादक यंत्रो का जोर से बजाना करना चाहिए। वही टिड्डियों से फसलों को बचाने के लिए क्लोर पैरी फॉस कीटनाशक एक हेक्टर में डेढ़ से दो लीटर की मात्रा में 400 से 600 लीटर पानी में टिड्डियों के अटैक के बाद तुरंत छिड़काव करना चाहिए। वही टिड्डियों से बचाव के लिए किसानो को दो लीटर मैलाथिओन को 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर तुरंत छिड़काव करना चाहिए। उन्होंने बताया कि टिड्डियों का मुँह काटने और चुभाने वाले होते है, वही टिड्डियो के शरीर पर कीटनाशी के छिड़काव से और पत्तियों पर कीटनाशक के छिड़काव के बाद पत्तियों पर टिड्डियों के बैठने से टिड्डे मर जाते है।