नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में चेयरमैन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की गोष्ठी
नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में कानपुर नगर पहुंचे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन सैय्यद गेरुल हसन रिज़वी ने गोष्ठी के माध्यम से लोगो को नागरिकता संशोधन के विषय में जानकारी दिया।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कुछ लोगो और राजनीतिक दलों द्वारा भ्रम फैलाया गया कि इस कानून से नागरिकता चली जायेगी, जबकि नागरिकता संशोधन कानून नागरिकता देने का कानून है।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान पडोसी देशो से जो लोग धार्मिक आधार पर प्रताड़ित हुए है उनको इस कानून के द्वारा नागरिकता देने का प्राविधान किया गया है। उन्होंने कहा कि जब हिन्दुस्तान और पाकिस्तान बना था, तब उस वक़्त लियाकत अली और नेहरू जी के बीच समझौता हुआ था कि धार्मिक आधार पर जो अल्पसंख्यक पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में रह गए है उनको भारत में बुलाकर नागरिकता दी जाये और सम्मान की जिंदगी दी जाए। इस तरह से गाँधी जी ने भी यही कहा था कि पाकिस्तान और भारत के बटवारे के बाद अल्पसंख्यक समाज के जो लोग रह गए हो उन सबको भारत में बुलाकर नागरिकता और सम्मान देना चाहिए। इसी तरह से 2003 में मनमोहन सिंह ने भी इस मुद्दे को पार्लियामेंट में उठाया था।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन ने कहा कि इस सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून लाकर कोई नया काम नहीं किया है, बल्कि उसी काम को पूरा किया है। इस कानून में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित लोगो को इस देश में नागरिकता देने की बात कही गयी है। इस कानून में देश में रहने वाले किसी की भी नागरिकता जाने का कोई प्रश्न नहीं है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने यह तय किया है कि राष्ट्रीय स्तर पर नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में गोष्ठी करके विशेष तौर पर मुस्लिम समाज के लोगो को जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में छै जगहों पर इस तरह की गोष्ठी आयोजित की जा रही है।