ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और भारत में ऊर्जा के संक्रमणकाल "सामाजिक-पारिस्थितिक संबंधों" विषय पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला


ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और भारत में ऊर्जा के संक्रमणकाल "सामाजिक-पारिस्थितिक संबंधों" विषय पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला


आईआईटी कानपुर के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग द्वारा 12 और 13 नवंबर, 2019 तक परिसर में ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और भारत में ऊर्जा के संक्रमणकाल "सामाजिक-पारिस्थितिक संबंधों" विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।


इस कार्यशाला का आयोजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर द्वारा क्लाइमेट जस्टिक रिसर्च सेन्टर, यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी सिडनी, सेंटर फॉर इंटरडिसिप्लिनरी क्षेत्रीय अध्ययन, मार्टिन लूथर विश्वविद्यालय हाले-विटनबर्ग के सहयोग से किया गया l 



कार्यशाला में जीवाश्म ईंधन संबंधित नवीकरणीय ऊर्जा में ऊर्जा का संक्रमण काल जलवायु नीति के कारण और पहलुओं पर ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी,और भारत देशों के संबंधित संदर्भों में अध्ययन किया गया। गौरतलब है की तीनों देश वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये देश कैसे इस लक्ष्य को प्राप्त करेंगे तथा उनके सामने किस प्रकार की समस्याएं होगीं तथा क्या -क्या समान विषय उभर कर सामने आएगे तथा ये देश विभिन्न परिस्थितियों एवं संदर्भों से क्या सीखेगें इन सभी विषयों की चर्चा इस कार्यशाला में हुई।



वही सामाजिक-पारिस्थितिक संबंधों में नई गतिशीलता के कारण इस कार्यशाला में जीवाश्म ईंधन की निर्भरता कम करने तथा नवीकरणीय ऊर्जा पर अधिक निर्भरता को लेकर एक साथ विचार-विमर्श किया गया। ऊर्जा एवं बृहद पारिस्थितिक-परिवर्तन के साथ किस प्रकार के सामाजिक संबंध हैं तथा परिवर्तन एवं दृश्य परिवर्तन से किस प्रकार की संभावनाएं उत्पन्न होगीं इस सब विषयों पर  भी कार्यशाला के दौरान विचार-विमर्श किया गया।


कार्यशाला में भारत, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के शिक्षाविदों, विद्वानों एवं प्रोफ़ेशनल ने भागीदारी से कार्यशाला काफी सफल रही।