राष्ट्रीय शर्करा संस्थान कानपुर की शैक्षणिक एवं अनुसंधान संबंधी गतिविधियों को जांचने आया थाईलैंड से 15 सदस्यीय दल
कानपुर नगर स्थित राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के साथ थाईलैंड शैक्षणिक और अनुसंधान के लिए हाथ मिलाएगा , इसी क्रम में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की शैक्षणिक एवं अनुसंधान संबंधी गतिविधियों को जांचने थाईलैंड से दौरे पर आये 15 सदस्यीय दल ने संस्थान की शैक्षणिक एवं अनुसंधान संबंधी गतिविधियों को जांचा परखा। दल ने संस्थान में उपलब्ध विविध आधुनिकतम प्रयोगशालाओं में आधुनिक उपकरणों , स्मार्ट क्लासरूम एवं संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा विविध सामयिक विषयों पर किये जा रहे अनुसंधान कार्यों को देखा। दौरे का मुख्य उद्देश्य गन्ना उत्पादन को बढ़ाना, चीनी मिलों की तकनीकी दक्षता में अभिवृद्धि करने के साथ राजस्व बढ़ाने के लिये चीनी मिलों में नवीनतम उत्पादों का विकास करना है।
संस्थान के निदेशक, प्रो. नरेन्द्र मोहन ने बताया कि संस्थान देश में गन्ने और चीनी की उत्पादकता बढ़ाने, जल-संरक्षण के साथ बाजार की मांग के अनुसार विविध गुणों वाली चीनी विकसित कर इसके सह-उत्पादों का मूल्य वर्धित करने के लिये प्रयासरत है।
उन्होंने बताया कि थाईलैंड के प्रतिनिधि मंडल ने फिल्टर केक सहित अन्य कृषि-कचरे द्वारा उत्पादित बायो-सीएनजी के अनुसंधान कार्य सहित अन्य शोध कार्यो में दिलचस्पी दिखाय़ी है। प्रतिनिधि मंडल चीनी उद्योग से निकलने वाले दूषित जल-शोधन कर दूषित जल को रिसाइकिल (पुनर्चक्रित) कर पीने योग्य पानी में बदलने वाली संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित उत्कृष्ट तकनीक को काफी सराहा। संस्थान के निदेशक के अनुसार राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर और थाईलैंड चीनी उद्योग के पारस्परिक सहयोग से दोनों देशों के लिए चीनी उद्योग के लिये काफी हितकर होगा। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेन्द्र मोहन ने कहा कि संस्थान भविष्य में थाईलैंड की यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर शिक्षण और अनुसंधान के कार्य करने के साथ दोनों देशो की चीनी उद्द्योग से जुड़े बाई प्रोडक्ट्स का वैल्यू एडिशन किया जा सके। उन्होंने बताया कि ब्राज़ील के बाद थाईलैंड विश्व का दूसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है और विभिन्न प्रकार की चीनी बनाता है।