इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट
जानिए बिना माला के कैसे करे मंत्र जाप
जानिए बिना माला के कैसे करे मंत्र जाप आपके पास मंत्र जाप करने वाली माला किसी समय उपलब्ध नहीं है, तो आप इस दौरान ‘करमाला’ तरीके से मंत्र जाप कर सकते हैं। यदि आप नहीं जानते हैं कि करमाला तरीका क्या है ? तो हम आपको बताते हैं। दाएं हाथ की अनामिका उंगुली यानी मिडिल फिंगर के बीच के पोरुओं से शुरू कर कनिष्ठा यानी लिटिल फिंगर के पोरुओं से होते हुए तर्जनी यानी इंडेक्स फिंगर के मूल तक के 10 पोरुओं को गिनकर आप मंत्र जाप कर सकते हैं। अनामिका यानी मिडिल फिंगर के बीच के शेष 2 पोरुओं को माला का सुमेरू मानकर पार न करें। फिर दाएं हाथ पर दस मंत्र की गिनती कर बाएं हाथ की अनामिका यानी मिडिल फिंगर के बीच के पोरुओं से दहाई की एक संख्या गिनें। इसके बाद दाएं हाथ के साथ बाएं हाथ पर दहाई के दस बार मंत्र गिनने पर 100 मंत्र संख्या पूरी हो जाती है। आखिरी आठ मंत्र जप के लिए फिर से दाएं हाथ पर ही उसी तरह अनामिका यानी मिडिल फिंगर के मध्य भाग से गिनती शुरू कर शेष 8 मंत्रों का जानप कर पूरे 108 मंत्र यानी एक माला पूरी की जा सकती है। आचार्य श्याम जी अग्निहोत्री
दशानन मंदिर जहां होती है रावण की पूजा
दशानन मंदिर जहां होती है रावण की पूजा उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित शिवाला में उत्तर भारत में लंकेश रावण का एकमात्र ऐसा मंदिर है जो कि सिर्फ दशहरे के दिन ही खुलता है। लगभग 200 वर्ष पुराने दशानन मंदिर में लंकापति रावण देवी देवताओ के पहरेदार के रूप में विराजित है। विजय दशमी को सुबह मंदिर के कपाट खोले जाते है साफ़ सफाई के बाद मंदिर के पुजारी द्वारा विधि विधान से रावण का जलाभिषेक, श्रंगार, और पूजन श्रंगार किया जाता है। मंदिर खोलने के साथ ही रावण का जन्मदिन भी मनाया जाता है। रावण को तरोई का फूल के साथ सरसो के तेल का दीपक अर्पित किया जाता है। रावण विद्वान पंडित होने के साथ ही भगवान शिव का परम भक्त था। भगवान् श्री राम और रावण के बीच हुए अंतिम युद्ध के बाद जब रावण युद्ध भूमि पर मृत्यु शैया पर पड़ा था तब प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण को समस्त वेदो के ज्ञाता महापंडित रावण से ज्ञान प्राप्त करने को कहा था। बड़ी संख्या में लोग यहां रावण की विद्वानता की पूजा करने आते है और रावण से बल, बुद्धि, व...