घोड़ो की विकसित नाल बनाने की तकनीक पर आईआईटी कानपुर में कार्यशाला


आईआईटी कानपुर में घोड़ो की विकसित नाल बनाने की तकनीक पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। आईआईटी के ग्रामीण प्रौद्योगिकी एक्शन ग्रुप टीम ने उत्तर प्रदेश राज्य के 20 जिलों के भिन्न-भिन्न स्थानों के आये नालबन्द नागरिकों के लिए  प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्घाटन प्रोफेसर एन.एस. व्यास ने  किया। यूपी के 20 जिलों के लगभग 70 प्रतिभागीयो ने प्रोफेसर संदीप संगल और के चंद्रशेखर (एमएसई) द्वारा विकसित एक नई तकनीक को सीखा। जिसमें घोड़े की नाल बनाने की प्रक्रिया में एक छोटा सा बदलाव करके 3 से 4 सप्ताह तक घोड़े की नाल के जीवनचक्र को बढ़ाया जा सकेगा घोड़े के बेहतर स्वास्थ्य में लगातार इजाफा होगा और घोड़ों को चोटें भी कम लगेंगी।


कार्यशाला में आये हुए प्रतिभागीयों में घोड़ों के मालिक, नालबंद, घोड़े के जूता बनाने वाले और गैर-सरकारी संगठन हैं जो घोड़ों के साथ काम करते हैं, और इससे अपनी आजीविका कमाते हैं l यह तकनीक 14 महीने की अवधि में ब्रुक इंडिया के साथ मिलकर विकसित हुई जिसमें धातु विज्ञान में सुधार की एक नई तकनीक के साथ इसे बनाया गया, जिससे कि स्थानीय लोहार आसानी से इसका पालन कर सके। जिसमें घोड़ों को बार-बार पैरों के घिसाई की पीड़ा से गुजरना नहीं पड़ता है, और घोड़े के मालिक की लागत भी कम हो जाती है।


भारत सरकार का प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय इस कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। जिसमे नालबंद और घोड़ों के साथ काम करने वाले समुदाय के साथ प्रौद्योगिकी के द्वारा प्रोत्साहित किए गए ब्रुक इंडिया, घोड़ों के कल्याण पर काम करने वाली एक फंडिंग एजेंसी, इस तकनीक को देश के अन्य क्षेत्रों में भी ले जाने की योजना बना रही है। कार्यशाला में भारतीय सेना के प्रसिद्ध पशु चिकित्सक कर्नल डोगरा ने प्रतिभागियों को संबोधित किया।