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जब हटिया के रंगबाजों ने अंग्रेजी हुक्मरानों के मना करने के बावजूद खेली थी होली.....

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जब हटिया के रंगबाजों ने अंग्रेजी हुक्मरानों के मना करने के बावजूद खेली थी होली.....   भारत गुलामी की जंजीरो से आजाद होने के लिए संघर्ष कर रहा था, तब कानपुर के बिठूर  से विद्रोह की ज्वाला धधकी। नानराव, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मबाई, भगतसिंह राजगुरू और पंडित चंद्रशेखर ने गोरों के छक्के छुड़ा दिए वही हटिया के रंगबाजों ने अंग्रेजी हुक्मरानों के मना करने के बावजूद होली के दिन ना केवल जमकर होली खेली, बल्कि हटिया बाज़ार के पार्क में तिरंगा भी लहरा दिया था। हटि या होली गंगा मेला की नींव साल 1942 में पड़ी थी  जब कानपुर में आजादी के दीवाने क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुक्मरानों के मना करने के बावजूद होली के दिन ना केवल जमकर रंगो से होली खेली बल्कि हटिया बाज़ार के पार्क में तिरंगा भी लहरा दिया था।  होली के दिन हटिया बाजार में मौजूद रज्जन बाबू पार्क में क्रन्तिकारी नौजवान अंग्रेजी हुकूमत की परवाह किए बगैर तिरंगा फहराकर गुलाल उड़ाकर नाच गा रहे थे। तभी इसकी भनक अंग्रेजी हुक्मरानों को लग गई। इसके बाद करीब एक दर्जन से भी ज्यादा अंग्रेज सिपाही घोड़े पर सवार होकर आए और झंडा उतारने लगे। नौजवानो...